रमजान में 'तरावीह' का महत्व एवं रोजा रखने के नियम, सहरी और इफ्तार की भी पूरी जानकारी पढ़िए

रमजान का पाक महिना

Mar 24, 2024 - 01:09
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रमजान में 'तरावीह' का महत्व एवं रोजा रखने के नियम, सहरी और इफ्तार की भी पूरी जानकारी पढ़िए

इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को सबसे पाक माना जाता है। यह महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है। रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है। इसे माह ए रमजान भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। रोजा के दौरान लोग सहरी करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं और शाम को इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के महीने में रोजा रखना, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है। यह महीना सभी मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है। - रमजान के दौरान रोजा रखने के नियम रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे। रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है। हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं। - रमजान का महत्व रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है। चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है। - क्या है सहरी रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है। इस समय सहरी ली जाती है। रमजान माह में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। सभी मुस्लिम लोगों को रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है, लेकिन बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है। - क्या है इफ्तार दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है। इसके बाद से सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है।

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