ना जीत, ना हार – लोक अदालत का सार
लोक अदालत" यानी एक ऐसा मंच जहाँ कोई हारता नहीं, कोई जीतता नहीं – बल्कि होता है समझौते और न्याय का संगम। कोटा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA Kota) द्वारा आयोजित लोक अदालत में न्यायमूर्ति सत्यनारायण व्यास ने कहा: “लोक अदालतें केवल विवादों का हल नहीं हैं, बल्कि ये समाज में शांति, सहमति और सामूहिक चेतना का प्रतीक हैं।”
ना जीत, ना हार – लोक अदालत का सार!
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📍 कोटा | MHR News Agency / Media House Kota
"लोक अदालत" यानी एक ऐसा मंच जहाँ कोई हारता नहीं, कोई जीतता नहीं – बल्कि होता है समझौते और न्याय का संगम।
कोटा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA Kota) द्वारा आयोजित लोक अदालत में न्यायमूर्ति सत्यनारायण व्यास ने कहा:
“लोक अदालतें केवल विवादों का हल नहीं हैं, बल्कि ये समाज में शांति, सहमति और सामूहिक चेतना का प्रतीक हैं।”
🌟 क्या है लोक अदालत का असली उद्देश्य?
✅ समझौता आधारित समाधान
✅ तेज़ और सस्ता न्याय
✅ कोई अपील नहीं – फैसला अंतिम
✅ जनहित में शीघ्र निष्पादन
✅ भावनात्मक और सामाजिक राहत
🧑⚖️ Justice Satyanarayan Vyas का संदेश:
“ना हार, ना जीत – यही लोक अदालत का असली सार है। विवाद का अंत नहीं, समाधान ही इसका ध्येय है।”
📸 इवेंट हाइलाइट्स:
📍 स्थान: जिला एवं सत्र न्यायालय, कोटा
🗓️ दिनांक: [अपना तारीख डालें]
👥 उपस्थिति: वकीलगण, न्यायाधीशगण, वादकारियों, एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी
🎤 संबोधन: लोक अदालत के महत्व, आमजन की भागीदारी और त्वरित न्याय के लिए प्रेरणा
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🎥 Reels Title:
🔹 "ना हार, ना जीत – लोक अदालत का असली मतलब | Justice Vyas Kota | DLSA | #MHRNews #LegalRights #LokAdalat"
📝 Caption:
"जहाँ फैसला नहीं, समाधान होता है – वहीं होती है सच्ची न्याय प्रक्रिया की शुरुआत।
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