हरिकृष्ण बिरला: सहकारिता से समाजसेवा तक एक सरल लेकिन सशक्त नेतृत्व का नाम
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(विशेष लेख: मीडिया हाउस राजस्थान डिजिटल न्यूज़ एजेंसी कोटा)
राजस्थान की सांस्कृतिक व शैक्षणिक राजधानी कोटा में जहां राजनैतिक रणभूमि और सामाजिक चेतना की गूंज हमेशा से रही है, वहीं हरिकृष्ण बिरला का नाम एक ऐसा व्यक्तित्व है जिन्होंने राजनीति, सहकारिता और सेवा को एक मंच पर साधा है। वे न सिर्फ लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला के बड़े भाई हैं, बल्कि स्वयं में एक दृढ़ विचारधारा, सादगी और नेतृत्व कौशल के प्रतीक हैं। हरिकृष्ण बिरला इस युग के उन दुर्लभ सामाजिक नेताओं में हैं जो बिना प्रचार, बिना विवाद, बिना कैमरा के समाज की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारियां उठाते हैं। उनकी मौन नीति, विनम्रता और सेवा भावना उन्हें कोटा संभाग के सच्चे लोक-पुरुषों में शुमार करती है।
- पारिवारिक विरासत, मूल्यों की पाठशाला :
कोटा के एक प्रतिष्ठित लेकिन सादगीप्रिय परिवार में जन्मे हरिकृष्ण बिरला को बचपन से ही कर्तव्य, परोपकार और परिश्रम का पाठ सिखाया गया। उनके पिता श्रीकृष्ण बिरला स्टेट टैक्स विभाग में सरकारी कार्मिक और मां शकुंतला देवी ग्रहणी थी। हरिकृष्ण बिरला सहित 6 भाई और 3 बहने हैं। सबसे बड़े भाई राजेश कृष्ण बिरला नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष हैं। हरिकृष्ण बिरला अविवाहित हैं उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाजसेवा को समर्पित कर दिया है। उनके पिता श्री कृष्ण बिरला सामाजिक न्याय और सहकारिता के मजबूत स्तंभ रहे, जिन्होंने 'बिना प्रचार, बड़ा योगदान' की परंपरा शुरू की। उनके छोटे भाई, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, देश की संसदीय गरिमा को ऊंचाई दे रहे हैं लेकिन हरिकृष्ण बिरला परिवार के मौन नीति मार्ग के सबसे मजबूत स्तंभ हैं।
- राजनैतिक कला-कौशल में पारंगत :
हरिकृष्ण बिरला राजनीतिक रूप से सीधे चुनावी राजनीति में नहीं उतरते, लेकिन वे पारंपरिक राजनैतिक रणनीति, जनसंपर्क और संगठन निर्माण में अत्यंत निपुण हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय हैं। वह हाड़ौती की राजनीति में साइलेंट पावर के नाम से मशहूर है। चुनावों के दौरान उनकी रणनीतिक उपस्थिति पार्टी के लिए मार्गदर्शक होती है। संगठन में उनकी छवि एक शांत, विचारशील और समाधानकर्ता नेता के रूप में है। हरिकृष्ण बिरला कार्यकर्ताओं को राजनैतिक साधन नहीं मानते, बल्कि उन्हें परिवार का हिस्सा समझते हैं। वे हमेशा युवाओं को प्रेरित करते हैं। जमीनी नेताओं से संवाद करते हैं और समाज की छोटी-से-छोटी इकाई में भागीदारी निभाते हैं। उनके जन्मदिन पर कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए स्वागत व सम्मान समारोहों से यह स्पष्ट होता है कि वे कितने जनप्रिय और सुलभ समाजसेवी हैं।
- सहकारिता क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान :
हरिकृष्ण बिरला वर्तमान में कोटा नागरिक उपभोक्ता सहकारी भंडार के अध्यक्ष हैं। डेयरी यूनियन, सहकारी बैंक, और अन्य संगठनों में व्यवस्थापकीय पारदर्शिता लाने का श्रेय उन्हें जाता है। उन्होंने सहकारिता आंदोलन को नारा नहीं, बल्कि व्यवहारिक सामाजिक उन्नति का उपकरण माना हैं। - सेवा और संवेदना की मिसाल : हरिकृष्ण बिरला रक्तदान शिविरों, निःशुल्क चिकित्सा जांच, और सामूहिक विवाह आयोजनों के माध्यम से समाज के जरूरतमंद वर्गों के लिए सदैव सक्रिय रहे हैं। उनके द्वारा कर्मयोग को धर्म के रूप में अपनाने का भाव आज भी लोगों को प्रेरित करता है।
- पारिवारिक संस्कार और विचारशीलता :
बिरला परिवार मूलतः एक संस्कारशील व्यापारी और सामाजिक परिवार रहा है, और हरिकृष्ण बिरला ने उस विरासत को विनम्रता, दूरदर्शिता और सेवा भाव से आगे बढ़ाया है। उनका जीवन स्वयं में एक शब्दहीन नेतृत्व शैली का उदाहरण है जहां शब्द नहीं, कर्म बोलता हैं। हरिकृष्ण बिरला न तो मंच पर भाषणों की राजनीति करते हैं और न ही कैमरे की चकाचौंध में चमकने का प्रयास। वे उन विरले नेताओं में से हैं, जो राजनीति को सेवा और संगठन को परिवार मानते हैं। उनकी राजनीतिक कला, सहकारी जागरूकता, सामाजिक सेवा और कार्यकर्ता स्नेह उन्हें कोटा संभाग के एक प्रेरक समाजसेवी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करता है।
- एक किस्सा जो बताता है वो कौन हैं :
एक बार एक वृद्ध महिला राशन कार्ड की समस्या लेकर कार्यालय पहुंची। कर्मचारियों ने टालने की कोशिश की, हरिकृष्ण बिरला ने उस महिला को खुद बैठाकर चाय दी, उसकी बात सुनी और अगले दिन उसका काम खुद करवाया बिना ये बताए कि वे कौन हैं। यह किस्सा उनके व्यक्तित्व की विनम्रता और संवेदना का प्रमाण है।
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