ब्लड मैन सुरेंद्र अग्रवाल: कोटा के जीवनदाता की प्रेरक कहानी
Media House Rajasthan News Agency

- रक्त के रिश्ते बनाने वाला इंसान, ऐतिहासिक योगदान
(रिपोर्ट: मीडिया हाउस राजस्थान न्यूज़ एजेंसी)
कोटा। राजस्थान की धरती पर समाजसेवा की मिसाल बनकर उभरे सुरेंद्र अग्रवाल न केवल एक संवेदनशील सामाजिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि कोटा व आसपास के जिलों के हज़ारों ज़रूरतमंदों के लिए जीवनदाता के रूप में प्रसिद्ध हैं। सुरेन्द्र अग्रवाल अग्रवाल ब्लड बैंक कोटा के संचालक हैं, जो कि आज कोटा शहर का एक प्रमुख और विश्वसनीय रक्त सेवा केंद्र बन चुका है।
- एक विचार से जनसेवा की ओर :
सुरेन्द्र अग्रवाल का गृह नगर कोटा और जन्मस्थली जिला करौली ग्राम किरवाडा है। सुरेन्द्र अग्रवाल का सफर मात्र एक विचार से शुरू हुआ यदि किसी को समय पर रक्त मिल जाए तो एक जीवन बच सकता है। इसी सोच को आत्मसात कर उन्होंने अग्रवाल ब्लड बैंक की स्थापना की, जो आज 24×7 रक्त सेवा के साथ-साथ थैलेसीमिया, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की जीवन रेखा बन गया है।
सुरेन्द्र अग्रवाल निरंतर सेवा कार्य करते आ रहे जिनमें शिक्षा संस्थानों में रक्तदान संस्कार अभियान, महिलाओं को रक्तदाता बनने के लिए प्रेरित करना, रक्तदान को विवाह, जन्मदिन, पुण्यतिथि जैसे आयोजनों से जोड़ना, युवाओं के लिए ‘रक्तदाता क्लब’ का गठन उन्होंने रक्तदान को सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ते हुए एक आंदोलन का रूप दिया।
- कोटा का 'रक्त-पुरुष': सुरेन्द्र अग्रवाल की मिसाल
हाड़ौती क्षेत्र जिसमें कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बारां आते हैं हमेशा से वीरता, सेवा और संस्कृति की धरती रही है। इसी धरती से निकले सुरेंद्र अग्रवाल ने आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक सामाजिक आंदोलन खड़ा कर दिया है। जब एक व्यक्ति का संकल्प पूरे समाज की धड़कन बन जाए, जब उसका कार्यक्षेत्र केवल संस्था तक सीमित न रहकर जीवन बचाने के पवित्र यज्ञ में परिवर्तित हो जाए तब वह व्यक्ति साधारण नहीं, समाज निर्माता कहलाता है। कोटा के सुरेंद्र अग्रवाल, जिन्हें हाड़ौती का "ब्लड मैन" कहा जाता है, ऐसे ही एक प्रेरणास्रोत हैं, जिनकी सेवा यात्रा अब इतिहास में दर्ज हो रही है।
- अग्रवाल ब्लड बैंक की प्रमुख विशेषताएं :
24 घंटे रक्त उपलब्धता, रक्त के घटकों (प्लेटलेट, प्लाज्मा आदि) की आधुनिक तकनीक से पृथक्करण और भंडारण, नियमित स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों का आयोजन, थैलेसीमिया बच्चों के लिए विशेष सहयोग योजना, सामाजिक संस्थाओं के साथ साझेदारी कर जन-जागरूकता अभियान चलाना। वर्ष 2024 तक, इस संस्था ने 1 लाख से अधिक रक्त यूनिट का संग्रह और वितरण किया यह एक ऐतिहासिक आँकड़ा है जो राजस्थान के किसी भी निजी रक्त संस्थान से अधिक है।
- सम्मान और पहचान :
अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन सहित कई राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं ने सुरेंद्र अग्रवाल को ब्लड मैन ऑफ हाड़ौती की उपाधि प्रदान की है। अखिल भारतीय अग्रवाल महासभा द्वारा “रक्त मानव” सम्मान आदि प्रदान किए गए। अग्रवाल के नेतृत्व में कोटा में रक्तदान को महज़ एक जरूरत नहीं, बल्कि एक सामाजिक संस्कार के रूप में स्थापित किया गया है। सुरेंद्र अग्रवाल अक्सर कहते हैं रक्तदान सबसे बड़ा दान है। यह ऐसा कर्म है जो जाति, धर्म, भाषा, रंग से परे जाकर एक इंसान को इंसान से जोड़ता है।
- प्रेरणादायक कहानी :
आज जब समाज अनेक प्रकार की चुनौतियों से गुजर रहा है, ऐसे समय में सुरेंद्र अग्रवाल जैसे व्यक्तित्व हमारे लिए प्रेरणा हैं। उनकी सेवा भावना, नेतृत्व क्षमता और समर्पण ने कोटा को न सिर्फ एक बेहतर रक्त सेवा तंत्र दिया है, बल्कि एक जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत किया है कैसे एक व्यक्ति भी समाज की धड़कन बन सकता है।
- हजारों जिंदगियां बचाने का पुण्य:
सन् 2000 के आसपास, जब कोटा में रक्त की सुविधाएं सीमित थीं, मरीजों के परिजन अक्सर ब्लड डोनर की तलाश में दर-दर भटकते थे। उसी समय एक युवक सुरेंद्र अग्रवाल, समाज के भीतर एक निरंतर पीड़ा को देख रहा था। उन्होंने निश्चय किया कि रक्त को दान का विषय नहीं, दायित्व बनाया जाएगा। साधारण वेश, विनम्र भाषा, लेकिन विचारों में गहराई और योजनाओं में संकल्प सुरेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि मैं मानता हूँ कि भगवान हर किसी को जीवन नहीं देता, लेकिन इंसान को यह शक्ति दी है कि वह किसी का जीवन बचा सकता है यह रक्तदान के माध्यम से संभव है।
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