कोटा प्रशासन के ऐतिहासिक कदम: छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सख्त निर्देश
Kota Coching News

देश की कोचिंग राजधानी माने जाने वाले कोटा शहर में छात्र आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं के बीच जिला प्रशासन ने ठोस और ऐतिहासिक पहल की है। कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी और एसपी अमीता दुहन ने मिलकर कोचिंग इंडस्ट्री में अनुशासन और छात्रों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं।
- कोचिंग संस्थानों पर पहली बार सख्त रेगुलेशन लागू अब कोचिंग संस्थानों को हर विद्यार्थी की यूनिक आईडी देना अनिवार्य होगा। साथ ही छात्रों की डेली अटेंडेंस रिपोर्टिंग प्रशासन तक पहुंचाना अनिवार्य होगा। यदि कोई छात्र लगातार 3 दिन तक गैरहाजिर रहता है, तो उसकी जानकारी प्रशासन और पुलिस को देनी होगी। कोचिंग क्लास का समय भी अब नियंत्रित रहेगा — प्रतिदिन अधिकतम 5 घंटे की क्लास अनुमति, ताकि छात्रों को मानसिक थकावट और तनाव से बचाया जा सके।
- गर्मी में राहत:
दोपहर की क्लास पर रोक गर्मी के मौसम को देखते हुए प्रशासन ने दोपहर 12 से 3 बजे तक कोचिंग क्लास पर रोक लगाई है। यह निर्णय छात्रों को हीट स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने के लिए लिया गया है।
- ‘वन-टू-वन’ संवाद:
प्रशासन छात्रों के करीब कोचिंग छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कलेक्टर और एसपी ने विद्यार्थियों से खुला संवाद किया। इसके तहत “कलेक्टर संवाद”, “डिनर विद कलेक्टर”, “IG टॉक सेशन” जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें छात्रों को न केवल आश्वासन दिया गया, बल्कि सफलता के लिए प्रेरणादायक टिप्स भी साझा किए गए। सोशल मीडिया के माध्यम से भी पुलिसिंग ने कोचिंग स्टूडेंट की जागरूकता के लिए बेहरत कार्य किया है।
- अनुशासनहीन संस्थानों पर सख्ती प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई संस्थान इन नियमों की अवहेलना करता है, तो उस पर ₹25,000 से लेकर ₹1 लाख तक जुर्माना और तीसरी बार में कोचिंग बंद करने की सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- अभिभावकों के लिए सीधा संदेश :
जिला प्रशासन ने छात्रों के साथ-साथ उनके माता-पिता से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों के साथ संवाद बनाए रखें और अनावश्यक दबाव न डालें। बच्चों की भावनाओं और मानसिक स्थिति को समझना इस समय सबसे जरूरी है। आज कोटा सिर्फ रैंक बनाने की फैक्ट्री नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और सामूहिक जिम्मेदारी का उदाहरण बन रहा है। प्रशासन, कोचिंग संस्थान, अभिभावक और मीडिया सभी मिलकर अब एक नया कोटा बना रहे हैं, जहां ‘एक रैंक नहीं, एक जीवन’ की सोच सर्वोपरि है।
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