चम्बल बचाओ आन्दोलन ने सौंपा जिला कलैक्टर के नाम ज्ञापन, चंबल नदी में गिर रहे दो दर्जन प्रदूषित नालों को रोकने की मांग
MHR DIGITAL

चम्बल बचाओ आन्दोलन संघर्ष समिति की ओर से बुधवार को जिला कलैक्टर के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया। समिति के संयोजक राकेश शर्मा राकू के नेतृत्व में एसडीएम को सौंपे ज्ञापन में चंबल नदी में गिर रहे दो दर्जन दूषित पानी के नालों को रोकने की मांग की गई। प्रतिनिधिमंडल में पार्षद कौशल्या सैनी, अब्दुल कलीम मंटू, जीतू केवट, पवन शर्मा, राजाराम कर्मयोगी, विजय सिंह मिन्नू, सुरेंद्र बैरवा, बिहारी लाल बैरवा, सलीम खान, अजय साहू, जाहिद खान, राधेश्याम लोधा मौजूद रहे।
प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि चंबल नदी कोटा की लाइफ लाइन है। अप स्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में करीब दो दर्जन दूषित नाले सीवरेज की गंदगी, अस्पतालों के जहरीले रसायन एवं बूच़डखानों की गंदगी को लेकर सीधे तौर पर चंबल नदी में गिर रहे हैं। जिसके कारण चंबल नदी में भारी मात्रा में जल प्रदूषण फैल चुका है। इससे जलीय जीवों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में मगरमच्छ मृत मिला है। दूषित पानी के नालो का चम्बल नदी में गिरने का मामला अत्यंत गंभीर एवं नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बन गया हैं। उन्होंने कहा कि दूषित पानी के नालों को टेप कर एसटीपी तक पहुंचाने व इस पानी को ट्रीट कर वापस चम्बल नदी में डाले जाने के कार्य में लगातार हो रही देरी केडीए के अधिकारियो का उदासीन रवैया व लापरवाही का परिणाम हैं।
सन 2008 में चम्बल नदी को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय नदी जल सरंक्षण योजना से जोड़ा गया था। जिसके तहत सीवरेज लाइन बिछाने एवं नालों को टेप करने के कार्य के लिए तत्कालीन यूआईटी को 200 करोड़ रूपये प्राप्त हुए थे। राकू ने कहा कि एनजीटी कि लगातार फटकार लगने के कारण 2016 में यूआईटी के अधिकारियो ने एसजीटी की भोपाल बेंच को झूठा शपथपत्र देकर 22 नालों को टेप करने का दावा किया था। जबकि एनजीटी की टीम ने कोटा आकर जाँच की तो यूआईटी का दावा झूठा पाया गया। तब इस मामले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से कोटा के सीजेएम कोर्ट में यूआईटी के 7 अधिकारियों के खिलाफ जल प्रदूषण के अधिनियम के तहत चम्बल नदी की हत्या का आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाया गया था। इसके बावजूद केडीए के अधिकारी नालों को टेप करने के मामले में गम्भीर नहीं हैं।
आज भी सैकड़ों एमएलडी दूषित पानी चम्बल नदी में सीधे तौर पर गिर रहा है। अधिकारियों को युद्धस्तर पर नालों को चम्बल नदी में गिरने से रोकने के कार्य में आदेश प्रदान करना चाहिए। साथ ही, एसटीपी की संख्या चम्बल के शुद्धिकरण के लिए पर्याप्त नहीं हैं, इनकी क्षमता बहुत कम हैं। इनकी संख्या बढ़ानी चाहिए। अन्यथा चम्बल नदी की दुर्दशा व बढ़ते जल प्रदूषण के विरोध में चम्बल बचाओ आन्दोलन संघर्ष समिति आन्दोलन करेगी। जिसके तहत जिला कलेक्ट्री पर धरने प्रदर्शन होंगे।
What's Your Reaction?






