दीपा सुबिन: कोटा की 'आयुर्वेद दीदी', जिन्होंने केरल की परंपरा को राजस्थान की धरती पर जीवंत किया
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जहाँ कोटा शिक्षा नगरी के रूप में प्रसिद्ध है, वहीं अब एक नया नाम आयुर्वेद सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उभर रहा है। दीपा सुबिन, जो न केवल Ambience Kerala Ayurvedic Charitable Trust की संस्थापक और अध्यक्ष हैं, बल्कि राजस्थान में आयुर्वेद की केरल परंपरा को जन-जन तक पहुंचाने वाली एक मिशनरी बन चुकी हैं।
- केरल की जड़ों से कोटा की मिट्टी तक :
दीपा सुबिन का जन्म और पालन-पोषण भले ही केरल की सुसंस्कृत चिकित्सा परंपरा में हुआ हो, लेकिन उनके हृदय की धड़कन अब राजस्थान की सेवा के लिए धड़कती है। उन्होंने कोटा को अपनी कर्मभूमि चुना और ‘केरल आयुर्वेद’ की समृद्ध विद्या को यहां की ज़रूरतमंद जनता तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया।
- शिविर नहीं, सेवा यज्ञ :
7–8 जून 2025 को रंगबाड़ी बालाजी सर्किल, कोटा में आयोजित दो दिवसीय विशाल निशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा शिविर में करीब 800 रोगियों को उपचार मिला यह एक सामान्य शिविर नहीं, बल्कि एक ‘सेवा यज्ञ’ था, जिसका नेतृत्व स्वयं दीपा सुबिन ने किया। वहीं, आगामी 17 जून 2025 को जिला न्यायालय में एक दिवसीय विशाल निशुल्क चिकित्सा आयुर्वेद सेवा शिविर का आयोजन भी कर रही है। दीपा सुबिन द्वारा वातरोग, मधुमेह, गठिया, सिकल सेल, हॉर्मोनल असंतुलन, तनाव जैसी बीमारियों का उपचार पंचकर्म और शुद्ध औषधियों द्वारा किया जा रहा है। शिविर में जीवनशैली सुधार, आयुर्वेदिक आहार, और घरेलू नुस्खों पर विशेष मार्गदर्शन दिया जाता है।
- एक महिला, एक मिशन:
प्राकृतिक चिकित्सा हर घर तक दीपा सुबिन का सपना है हर घर तक आयुर्वेद पहुंचे, हर व्यक्ति खुद को पहचाने, और रसायन मुक्त जीवन जिए। उन्होंने न केवल ट्रस्ट के माध्यम से लगातार निशुल्क शिविरों की श्रृंखला प्रारंभ की है, बल्कि आयुर्वेदिक शिक्षा, औषधीय पौधों का वितरण, और योग-ध्यान की कक्षाएं भी आरंभ की हैं। वे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु आयुर्वेदिक होम-केयर ट्रेनिंग भी शुरू करने वाली हैं।
- सम्मान और समाज का समर्थन :
दीपा सुबिन को उनके कार्यों के लिए कई सामाजिक संगठनों, डॉक्टर्स यूनियनों, और महिला समूहों से सम्मान मिल चुका है। कोटा की जनता उन्हें "आयुर्वेद दीदी" के नाम से जानने लगी है। दीपा सुबिन वर्तमान में देश के सबसे बड़े मीडिया संगठन ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन और उपभोक्ता संरक्षण मंच की सदस्य भी हैं।
- इतिहास रचती महिला :
इस बदलते युग में जब आधुनिक चिकित्सा के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, दीपा सुबिन जैसे लोग इतिहास रच रहे हैं वे उस परंपरा को फिर जीवंत कर रहे हैं जो चरक, सुश्रुत ने हजारों वर्ष पहले शुरू की थी। दीपा सुबिन केवल एक नाम नहीं, एक आंदोलन हैं। एक ऐसा आंदोलन, जो प्राकृतिक चिकित्सा, सेवा और मातृत्व को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि यदि नीयत नेक हो, तो आयुर्वेद भी "Only for elite" नहीं, बल्कि "Everyone's Right" बन सकता है।
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