पुलिस डर का नहीं, भरोसे का नाम होना चाहिए।

News By MHR NEWS Media House Rajasthan

Jul 20, 2025 - 13:58
Jul 20, 2025 - 14:39
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पुलिस डर का नहीं, भरोसे का नाम होना चाहिए।

Kota . आईपीएस तेजस्विनी गौतम राजस्थान कैडर की 2012–13 बैच की अधिकारी हैं। वे मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं और लेडी श्रीराम कॉलेज व दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की है। उन्होंने राजस्थान के कई जिलों में पुलिस अधीक्षक (SP), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP), SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की प्रभारी और जयपुर (ईस्ट) की DCP जैसे कई अहम पदों पर कार्य किया है। कोरोना लॉकडाउन में सांस्कृतिक पहल (2020, चूरू) जब वे चूरू की एसपी थीं, तब उन्होंने लॉकडाउन के दौरान लोगों को घरों में ही रचनात्मक बनाए रखने के लिए ‘Stay at Home’ नाम से लाइव कार्यक्रम शुरू किया। इसमें थिएटर, संगीत, योग, कविता, और फ़िल्मी कलाकारों की प्रस्तुति होती थी। हर दिन हज़ारों लोग इन कार्यक्रमों से जुड़े। इस अनोखी पहल को देशभर में सराहा गया।

नुक्कड़ नाटक के ज़रिए समाज सुधार जब वे अजमेर और जयपुर (बसी) में ASP थीं, तो उन्होंने पुलिस कर्मियों को लेकर 50 से अधिक नुक्कड़ नाटक करवाए। इन नाटकों के माध्यम से महिलाओं के अधिकार, घरेलू हिंसा, बाल विवाह जैसे मुद्दों पर जनजागरूकता फैलाई गई। कानून व्यवस्था में उत्कृष्ट योगदान वे अलवर की एसपी रही हैं, जहाँ उनके नेतृत्व को काफी सराहा गया। 2023 में जब उनका ट्रांसफर बीकानेर हुआ, तो लोग भावुक हो गए। 2025 में उन्हें कोटा सिटी का एसपी बनाया गया है।

अंतरराष्ट्रीय सराहना जब जून 2025 में अमेरिकी उपराष्ट्रपति J.D. वांस का जयपुर दौरा हुआ, उस समय तेजस्विनी गौतम जयपुर (ईस्ट) की DCP थीं। उन्होंने अमेरिकी दूतावास से औपचारिक प्रशंसा प्राप्त की, क्योंकि उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था में शानदार समन्वय किया। थिएटर की शौकीन तेजस्विनी गौतम पिछले 20 सालों से रंगमंच (थिएटर) से जुड़ी हुई हैं। वे पुलिस विभाग में भी अभिनय के माध्यम से सामाजिक संदेश देती हैं और पुलिस कर्मियों को भी अभिनय के ज़रिए प्रशिक्षण देती हैं। प्रशिक्षक और शिक्षिका वर्तमान में वे राजस्थान पुलिस अकादमी में प्रशिक्षक भी हैं। वहाँ वे मानसिक तनाव, नैतिकता, किशोर न्याय, महिला-सम्बंधित पुलिस व्यवहार, सामूहिक नेतृत्व आदि विषयों पर प्रशिक्षण देती हैं। कुछ खास बाते तेजस्विनी गौतम के बारे में। तेजस्विनी गौतम एक ऐसी आईपीएस अधिकारी हैं जो सिर्फ कानून-व्यवस्था को ही नहीं, बल्कि मानवता, संस्कृति और जनसंपर्क को भी प्राथमिकता देती हैं। उनकी सोच पारंपरिक पुलिसिंग से अलग है—वे समाज से जुड़ाव, संवाद और रचनात्मकता के ज़रिए लोगों का विश्वास जीतती हैं। आईपीएस तेजस्विनी गौतम को बाकी अधिकारियों से अलग बनाती हैं ।

- थिएटर आर्टिस्ट से आईपीएस तक का सफर : 

तेजस्विनी बचपन से ही नाटकों और अभिनय में रुचि रखती थीं। उन्होंने दिल्ली में कई सालों तक रंगमंच (थिएटर) किया और समाजसेवा से जुड़े विषयों पर नुक्कड़ नाटक किए। आज भी वे पुलिस विभाग में थियेटर को एक सामाजिक माध्यम की तरह उपयोग करती हैं। पुलिस डिपार्टमेंट में ‘कल्चरल टीम’ बनाई उन्होंने जहां भी पोस्टिंग ली, वहां की पुलिस लाइन में कल्चर और थिएटर टीम बनाई, जिसमें सिपाही और कांस्टेबल भी शामिल थे। उन्होंने उन्हें अभिनय, नाटक और गीतों के ज़रिए समाजिक मुद्दों को लेकर सशक्त बनाने का काम किया। लॉकडाउन में पुलिस बनी मनोरंजन की मिसाल कोरोना लॉकडाउन के समय उन्होंने चूरू जिले में हर शाम फेसबुक और यूट्यूब पर लाइव कार्यक्रम शुरू करवाए जिसमें डांस, संगीत, कविता, योग और मोटिवेशनल सेशन्स होते थे। यह पहल पूरे देश में पहली बार किसी आईपीएस द्वारा की गई थी।

जनता से संवाद उनकी ताकत है।

तेजस्विनी का मानना है कि "पुलिस डर का नहीं, भरोसे का नाम होनी चाहिए। उन्होंने हमेशा जनता से खुलकर संवाद किया और पुलिस और नागरिकों के बीच की दूरी कम करने का प्रयास किया। योग और मानसिक स्वास्थ्य पर ज़ोर वह मानसिक तनाव को कम करने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए योग, ध्यान और कला को अहम मानती हैं। पुलिसकर्मियों के लिए योग वर्कशॉप्स भी करवा चुकी हैं। महिलाओं के लिए एक प्रेरणा तेजस्विनी गौतम उन गिनी-चुनी आईपीएस अफसरों में से हैं जो थियेटर, कानून और प्रशासन—तीनों को एक साथ साधने में सफल रही हैं। उनकी कार्यशैली और व्यक्तित्व कई युवा लड़कियों के लिए रोल मॉडल है। कभी पुलिस बनने का सपना नहीं देखा था! एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनका सपना कभी आईपीएस बनने का नहीं था। लेकिन जब उन्होंने लॉ की पढ़ाई की, तो उन्हें समाज में बदलाव लाने की इच्छा हुई और उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की।

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