Kota: भागवत कथा कभी ऊंच नीच का भेद नहीं करती: आचार्य ऋतुराज
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कोटा। गौतम वाटिका में चल रही श्री मदभागवत कथा के तृतीय दिवस पर कथाव्यास आचार्य ऋतुराज शर्मा ने कथा वक्ता व स्रोता के नियम बताते हुए बताया कि कथाव्यास को ऊंच नीच के भेद से परे होकर समग्र विश्व कल्याण के लिए कथा वाचन का करना चाहिए। तब ही कथा की सार्थकता सिद्ध होती है। शुकदेव जी में ये सभी नियम चरितार्थ होते है। इसलिए उनके द्वारा कही हुई कथा का अतिशय प्रभाव है। शिव सती प्रसंग सुनते हुए पुराणाचार्य ने बताया कि शिव के बिना मनुष्य शव समान है। शिवलिंग की महिमा बताते हुए कथा व्यास ने बताया कि मनुष्य को पार्थिव शिवलिंग की पूजा नित्य करना चाहिए।
मिट्टी से बनाए गए शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है। प्रत्येक मनुष्य को पार्थिव शिवलिंग की पूजा अवश्य करना चाहिए। कपिल देवहूति प्रसंग सुनाते हुए आचार्य ने बताया कि मनुष्य भोग से रोग और योग से निरोग को प्राप्त करता है। पूरक, कुंभक व रेचक नाम के तीन मुख्य प्राणायाम बताए गए हैं। जो मनुष्य नित्य प्राणायाम करता है। इसका मन विशुद्ध हो जाता है। जिससे जीव भक्ति पथ पर सहज रूप से आगे बढ़ता है। ध्रुव चरित्र सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि मनुष्य की प्रथम गुरु मां होती है।
ध्रुव की माता सुनीति ने बाल्यकाल से ही ध्रुव को भगवतपथ पर अग्रसित कर दिया। जिससे ध्रुव को परम पवित्र ध्रुवलोक प्राप्त हुआ। आज की माताओं को भी चाहिए कि वे अपनी संतानों में संस्कारो का पोषण करें। जिससे एक स्वस्थ समाज की रचना संभव हो सके। इस अवसर पर मुकुट बिहारी शर्मा, अंजना शर्मा, अक्षय शर्मा ने आरती की तथा प्रसाद वितरण किया।
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